डीआइजी करेंगे सांप्रदायिक हिंसा का 'पोस्टमार्टम'
मेरठ : 10 मई को हुई सांप्रदायिक हिंसा में पुराना शहर उपद्रवियों के कब्जे में था, जहां पुलिस के सामने ही उपद्रवियों ने गोलियां बरसाई थीं। इसके प्रत्यक्षदर्शी पुलिसवाले ही हैं। इसके बावजूद बलवाइयों के सामने पीठ दिखाने वालों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। शनिवार को इस मामले में आइजी ने गंभीरता से लेकर डीआइजी को जांच करने के निर्देश दिए हैं। डीआइजी ने स्वीकार किया कि उन्हें आइजी की ओर से जारी पत्र शाम को मिल गया है।
कोतवाली के तीरगरान में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान कागजी बाजार में शुभम रस्तोगी को गोली लगने से मौत हो गई थी। पुलिस के रिकार्ड में सामने आया कि उसे बिलाल ने गोली मारी थी। सवाल यह है कि बिलाल पुलिस की ही आड़ लेकर गोलियां बरसा रहा था। यदि मौके पर मौजूद पुलिसवाले बिलाल को पकड़ लेते तो शुभम की जान बच सकती थी। दैनिक जागरण के पास मौजूद फोटो पुलिसवालों की कायरता बयां करने के लिए काफी है। इसके बावजूद अभी तक पुलिसवालों की जांच तक नहीं हो पाई है। शनिवार को आइजी आलोक शर्मा ने एक पत्र जारी कर डीआइजी के. सत्यनारायण को पूरे मामले की जांच दी है। डीआइजी ने बताया कि आइजी की ओर से जारी आदेश देर शाम मिल चुका है, जिस पर रविवार से जांच शुरू कर दी जाएगी। जांच के साथ उस पर पूरे मामले की समीक्षा करने के आदेश भी दिए हैं। सांप्रदायिक हिंसा में किस तरफ से गलती हुई? किस-किस पुलिस अफसर की लापरवाही सामने आई? भीड़ को नियंत्रण करने में कहां रही पुलिसकर्मियों की चूक? विवाद को पहले निपटाने में थाना स्तर पर कहां पुलिस की नाकामी रही? पथराव चार चरणों में हुआ है तो पुलिस इसे रोकने में क्यों नाकाम रही? साथ ही भाजपा की ओर से एसपी सिटी के सामने गोली चलने के मामले की भी जांच डीआइजी खुद करेंगे।
इन्होंने कहा..
पूरे मामले की जांच का जिम्मा डीआइजी को देकर रिपोर्ट मांगी गई है। किस स्तर पर लापरवाही हुई है, इसकी रिपोर्ट शासन को भी भेजी जाएगी। देर शाम आदेश मिलने की पुष्टि डीआइजी ने भी कर दी।
आलोक शर्मा, आइजी, मेरठ जोनताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए क्लिक करें m.jagran.com परया
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डीआइजी करेंगे सांप्रदायिक हिंसा का ‘पोस्टमार्टम’
मेरठ : 10 मई को हुई सांप्रदायिक हिंसा में पुराना शहर उपद्रवियों के कब्जे में था, जहां पुलिस के सामने ही उपद्रवियों ने गोलियां बरसाई थीं। इसके प्रत्यक्षदर्शी पुलिसवाले ही हैं। इसके बावजूद बलवाइयों के सामने पीठ दिखाने वालों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। शनिवार को इस मामले में आइजी ने गंभीरता से लेकर डीआइजी को जांच करने के निर्देश दिए हैं। डीआइजी ने स्वीकार किया कि उन्हें आइजी की ओर से जारी पत्र शाम को मिल गया है।
कोतवाली के तीरगरान में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान कागजी बाजार में शुभम रस्तोगी को गोली लगने से मौत हो गई थी। पुलिस के रिकार्ड में सामने आया कि उसे बिलाल ने गोली मारी थी। सवाल यह है कि बिलाल पुलिस की ही आड़ लेकर गोलियां बरसा रहा था। यदि मौके पर मौजूद पुलिसवाले बिलाल को पकड़ लेते तो शुभम की जान बच सकती थी। दैनिक जागरण के पास मौजूद फोटो पुलिसवालों की कायरता बयां करने के लिए काफी है। इसके बावजूद अभी तक पुलिसवालों की जांच तक नहीं हो पाई है। शनिवार को आइजी आलोक शर्मा ने एक पत्र जारी कर डीआइजी के. सत्यनारायण को पूरे मामले की जांच दी है। डीआइजी ने बताया कि आइजी की ओर से जारी आदेश देर शाम मिल चुका है, जिस पर रविवार से जांच शुरू कर दी जाएगी। जांच के साथ उस पर पूरे मामले की समीक्षा करने के आदेश भी दिए हैं। सांप्रदायिक हिंसा में किस तरफ से गलती हुई? किस-किस पुलिस अफसर की लापरवाही सामने आई? भीड़ को नियंत्रण करने में कहां रही पुलिसकर्मियों की चूक? विवाद को पहले निपटाने में थाना स्तर पर कहां पुलिस की नाकामी रही? पथराव चार चरणों में हुआ है तो पुलिस इसे रोकने में क्यों नाकाम रही? साथ ही भाजपा की ओर से एसपी सिटी के सामने गोली चलने के मामले की भी जांच डीआइजी खुद करेंगे।
इन्होंने कहा..
पूरे मामले की जांच का जिम्मा डीआइजी को देकर रिपोर्ट मांगी गई है। किस स्तर पर लापरवाही हुई है, इसकी रिपोर्ट शासन को भी भेजी जाएगी। देर शाम आदेश मिलने की पुष्टि डीआइजी ने भी कर दी।
आलोक शर्मा, आइजी, मेरठ जोन
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