Friday, 16 May 2014

रालोद के बंजर में अमर सिंह के काम न आया ग्लैमर


रालोद के बंजर में अमर सिंह के काम न आया ग्लैमर
लखनऊ। जाटलैंड राष्ट्रीय लोकदल के लिए फिर बंजर रह गई। भगवा आंधी में अजित सिंह और जयंत चौधरी तक अपनी सीट खो बैठे तो पार्टी के अन्य प्रत्याशियों की हालत और खराब रही होगी।। यही वजह है कि देश की राजनीति में सियासी दिग्गज रहे अमर सिंह का ग्लैमर भी बुलंद दरवाजे से न चल सका। पहली दफा चुनावी मैदान में उतरे अमर सिंह चौथे पायदान पर ठिठके रह गए, यहां तक कि उन्हें जमानत बचाने के भी लाले पड़ गए।
आगरा जिले की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के इस दफा भाजपा ने रालोद छोड़कर आए पूर्व मंत्री चौ. बाबूलाल को मैदान में उतारा। रालोद-कांग्रेस गठबंधन ने अमर सिंह पर भरोसा जताया, जिनका कभी सपा में जादू चलता था। चुनाव प्रचार के दौरान सीकरी लोकसभा के जाट बहुल क्षेत्र में चौ. अजित सिंह का उड़नखटोला उड़ान भरता रहा। वहीं, प्रत्याशी अमर सिंह रुतबे, जलवे और ग्लैमर के रथ पर सवार थे।
गांव-गांव प्रचार के दौरान फतेहपुर सीकरी की बदहाली की कहानी कहते अमर सिंह की जुबां से यह गुमान कतई ओझल न हुआ कि वह सांसद बनने नहीं लड़ रहे। 18 साल से राज्यसभा सांसद हैं। अब तक नेताओं के नेता रहे हैं और अब जनता के बीच पहली बार चुनाव लड़कर लोकसभा में जाना चाहते हैं।
चौ. अजित सिंह, जयंत चौधरी से लेकर जयाप्रदा, डिंपल कपाड़िया जैसे बॉलीवुड सितारे तक अमर सिंह के 'ऊंचे रसूख' की फिजां गांव-गांव बनाते रहे। चुनाव प्रचार के दौरान धूप में हैंडपंप चलातीं जयाप्रदा और ओक लगाकर पानी पीते अमर सिंह, इस नजारे से रालोद को उम्मीद थी कि हैंडपंप से जीत का अमृत जरूर निकलेगा। मगर, मोदी की आंधी के आगे हैंडपंप के स्त्रोत सूख गए। अमर सिंह या बॉलीवुड का ग्लैमर रोड शो तक सिमटा रह गया। वहीं, सीकरी के जाटों ने जाटों का मान तो रखा, लेकिन चौ. अजित सिंह नहीं, बल्कि भाजपा प्रत्याशी चौ. बाबूलाल के सिर जीत का साफा बांध कर। हाथी दूसरे स्थान पर पैर खसीटता रह गया, साइकल तीसरे पर खड़ी रही और अमर सिंह मतगणना शुरू होने से आखिरी तक चौथे पायदान पर ही बैठे रहे। बागपत में मुखिया चौ. अजित सिंह, मथुरा से जयंत चौधरी और सीकरी से अमर सिंह की हार के साथ ही रालोद के लिए जाट लैंड और भी सूखी हो चुकी है, उम्मीदें गहरे रसातल में उतर चुकी हैं।
ग्लैमर से बस जुटता मजमा
अमर सिंह जब सीकरी आए थे तो उन्हें उम्मीद थी कि वह ग्लैमर से वोट जुटा लेंगे लेकिन अब ऐसा नहीं होता। चुनावों का मतलब जनता को बहुत कुछ समझ आ गया है। इसीलिए ग्लैमर से मजमा तो जुटता है लेकिन वोट नहीं पड़ते। यह अमर सिंह को भी समझ लेना चाहिए। हां, वह सीकरी के लिए कुछ काम करते। जन समस्याओं के लिए लड़ते तब उनके काम और ग्लैमर का जोड़ चुनाव में अलग स्थान पर रख सकता था।ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए क्लिक करें m.jagran.com परया
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Tags:Lucknow, Politics, Jatland, Amarsingh, RLD candidate


Web Title:Amarsingh defeted badly

(Hindi news from Dainik Jagran, newsstate Desk)

रालोद के बंजर में अमर सिंह के काम न आया ग्लैमर
लखनऊ। जाटलैंड राष्ट्रीय लोकदल के लिए फिर बंजर रह गई। भगवा आंधी में अजित सिंह और जयंत चौधरी तक अपनी सीट खो बैठे तो पार्टी के अन्य प्रत्याशियों की हालत और खराब रही होगी।। यही वजह है कि देश की राजनीति में सियासी दिग्गज रहे अमर सिंह का ग्लैमर भी बुलंद दरवाजे से न चल सका। पहली दफा चुनावी मैदान में उतरे अमर सिंह चौथे पायदान पर ठिठके रह गए, यहां तक कि उन्हें जमानत बचाने के भी लाले पड़ गए।
आगरा जिले की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के इस दफा भाजपा ने रालोद छोड़कर आए पूर्व मंत्री चौ. बाबूलाल को मैदान में उतारा। रालोद-कांग्रेस गठबंधन ने अमर सिंह पर भरोसा जताया, जिनका कभी सपा में जादू चलता था। चुनाव प्रचार के दौरान सीकरी लोकसभा के जाट बहुल क्षेत्र में चौ. अजित सिंह का उड़नखटोला उड़ान भरता रहा। वहीं, प्रत्याशी अमर सिंह रुतबे, जलवे और ग्लैमर के रथ पर सवार थे।
गांव-गांव प्रचार के दौरान फतेहपुर सीकरी की बदहाली की कहानी कहते अमर सिंह की जुबां से यह गुमान कतई ओझल न हुआ कि वह सांसद बनने नहीं लड़ रहे। 18 साल से राज्यसभा सांसद हैं। अब तक नेताओं के नेता रहे हैं और अब जनता के बीच पहली बार चुनाव लड़कर लोकसभा में जाना चाहते हैं।
चौ. अजित सिंह, जयंत चौधरी से लेकर जयाप्रदा, डिंपल कपाड़िया जैसे बॉलीवुड सितारे तक अमर सिंह के ‘ऊंचे रसूख’ की फिजां गांव-गांव बनाते रहे। चुनाव प्रचार के दौरान धूप में हैंडपंप चलातीं जयाप्रदा और ओक लगाकर पानी पीते अमर सिंह, इस नजारे से रालोद को उम्मीद थी कि हैंडपंप से जीत का अमृत जरूर निकलेगा। मगर, मोदी की आंधी के आगे हैंडपंप के स्त्रोत सूख गए। अमर सिंह या बॉलीवुड का ग्लैमर रोड शो तक सिमटा रह गया। वहीं, सीकरी के जाटों ने जाटों का मान तो रखा, लेकिन चौ. अजित सिंह नहीं, बल्कि भाजपा प्रत्याशी चौ. बाबूलाल के सिर जीत का साफा बांध कर। हाथी दूसरे स्थान पर पैर खसीटता रह गया, साइकल तीसरे पर खड़ी रही और अमर सिंह मतगणना शुरू होने से आखिरी तक चौथे पायदान पर ही बैठे रहे। बागपत में मुखिया चौ. अजित सिंह, मथुरा से जयंत चौधरी और सीकरी से अमर सिंह की हार के साथ ही रालोद के लिए जाट लैंड और भी सूखी हो चुकी है, उम्मीदें गहरे रसातल में उतर चुकी हैं।
ग्लैमर से बस जुटता मजमा
अमर सिंह जब सीकरी आए थे तो उन्हें उम्मीद थी कि वह ग्लैमर से वोट जुटा लेंगे लेकिन अब ऐसा नहीं होता। चुनावों का मतलब जनता को बहुत कुछ समझ आ गया है। इसीलिए ग्लैमर से मजमा तो जुटता है लेकिन वोट नहीं पड़ते। यह अमर सिंह को भी समझ लेना चाहिए। हां, वह सीकरी के लिए कुछ काम करते। जन समस्याओं के लिए लड़ते तब उनके काम और ग्लैमर का जोड़ चुनाव में अलग स्थान पर रख सकता था।
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