Tuesday, 13 May 2014

नई चुनौतियों से पार नहीं पा रहे पुराने कोर्स


नई चुनौतियों से पार नहीं पा रहे पुराने कोर्स
मेरठ : प्रदेश के विश्वविद्यालयों से हर साल लाखों डिग्रीधारी निकल रहे हैं, लेकिन रोजगार से लेकर स्वरोजगार तक की दौड़ में कुछ ही युवा टिक पा रहे हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर युवाओं को दी जाने वाली डिग्री रोजगार दिलाने से कोसों दूर है। विश्वविद्यालय स्तर पर चलने वाले कोर्स नई चुनौती का सामना करने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों में संचालित ज्यादातर परंपरागत कोर्सो की चमक फीकी हो चुकी है। केवल विवि परिसर की बात करें तो चौदह विभागों में परास्नातक स्तर पर जो परंपरागत कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं, उनको करने वाले प्रतियोगिता की दौड़ में खड़े नहीं हो पा रहे हैं। पीजी स्तर पर जो यूनिफाइड सिलेबस तैयार किया गया है, वह निम्न स्तरीय है। विवि के एक प्रोफेसर का यहां तक कहना है कि पीजी का सिलेबस 12वीं के स्टैंडर्ड का भी नहीं है। परंपरागत कोर्स का सिलेबस तो रोजगार दिलाने में अक्षम साबित हो ही रहा है, प्रोफेशनल कोर्सो की हालत भी खराब है, क्योंकि ज्यादातर प्रोफेशनल कोर्स फैकल्टी की कमी, ट्रेनिंग के अभाव और आधारभूत ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। जिस यूनिवर्सिटी को समय के हिसाब से सिलेबस में बदलाव करना है, वह अपनी जिम्मेदारियों से दूर नजर आ रही है।
यूनिफाइड सिलेबस पहले से भी खराब
विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. एचएस सिंह कहते हैं कि विवि में पीजी स्तर पर जो सिलेबस लागू है, उसे लखनऊ विवि ने तैयार किया है। विवि के शिक्षकों की माने तो यह सिलेबस पहले से भी कमजोर है।
यूजीसी का जोर
यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को अभी कुछ समय पहले यह निर्देश दिए गए थे कि वह परंपरागत कोर्स के साथ उससे जुड़ता कोई प्रोफेशनल कोर्स भी संचालित करें, जिससे युवा रोजगार लायक हो सकें। विवि ने इस दिशा में कुछ कोर्स भी शुरू किए, लेकिन उसमें प्रवेश ही काफी कम हुए। नतीजतन कुछ कोर्स बंद करने पड़े।ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए क्लिक करें m.jagran.com परया
जागरण एप्लीकेशन डाउनलोड करें


chorme


android


ipad


iphone




Web Title:

(Hindi news from Dainik Jagran, newsstate Desk)

नई चुनौतियों से पार नहीं पा रहे पुराने कोर्स
मेरठ : प्रदेश के विश्वविद्यालयों से हर साल लाखों डिग्रीधारी निकल रहे हैं, लेकिन रोजगार से लेकर स्वरोजगार तक की दौड़ में कुछ ही युवा टिक पा रहे हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर युवाओं को दी जाने वाली डिग्री रोजगार दिलाने से कोसों दूर है। विश्वविद्यालय स्तर पर चलने वाले कोर्स नई चुनौती का सामना करने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों में संचालित ज्यादातर परंपरागत कोर्सो की चमक फीकी हो चुकी है। केवल विवि परिसर की बात करें तो चौदह विभागों में परास्नातक स्तर पर जो परंपरागत कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं, उनको करने वाले प्रतियोगिता की दौड़ में खड़े नहीं हो पा रहे हैं। पीजी स्तर पर जो यूनिफाइड सिलेबस तैयार किया गया है, वह निम्न स्तरीय है। विवि के एक प्रोफेसर का यहां तक कहना है कि पीजी का सिलेबस 12वीं के स्टैंडर्ड का भी नहीं है। परंपरागत कोर्स का सिलेबस तो रोजगार दिलाने में अक्षम साबित हो ही रहा है, प्रोफेशनल कोर्सो की हालत भी खराब है, क्योंकि ज्यादातर प्रोफेशनल कोर्स फैकल्टी की कमी, ट्रेनिंग के अभाव और आधारभूत ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। जिस यूनिवर्सिटी को समय के हिसाब से सिलेबस में बदलाव करना है, वह अपनी जिम्मेदारियों से दूर नजर आ रही है।
यूनिफाइड सिलेबस पहले से भी खराब
विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. एचएस सिंह कहते हैं कि विवि में पीजी स्तर पर जो सिलेबस लागू है, उसे लखनऊ विवि ने तैयार किया है। विवि के शिक्षकों की माने तो यह सिलेबस पहले से भी कमजोर है।
यूजीसी का जोर
यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को अभी कुछ समय पहले यह निर्देश दिए गए थे कि वह परंपरागत कोर्स के साथ उससे जुड़ता कोई प्रोफेशनल कोर्स भी संचालित करें, जिससे युवा रोजगार लायक हो सकें। विवि ने इस दिशा में कुछ कोर्स भी शुरू किए, लेकिन उसमें प्रवेश ही काफी कम हुए। नतीजतन कुछ कोर्स बंद करने पड़े।
ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए क्लिक करें m.jagran.com परया
जागरण एप्लीकेशन डाउनलोड करें
chorme
android
ipad
iphone

Web Title:

(Hindi news from Dainik Jagran, newsstate Desk)

CLICK HERE FOR FULL NEWSनई चुनौतियों से पार नहीं पा रहे पुराने कोर्स

No comments:

Post a Comment

//