इलाहाबाद : रामपुर का बुजुर्ग जंगी लाल प्रयाग की सड़कों पर कई दिन से मारा-मारा फिर रहा था। जिन आंखों के तारों को उसने अपना पेट काट काटकर पाला, उन्हीं बेटों ने उसे घर से बाहर धकेल दिया। वह बीमार है, हालत बेहद नाजुक है। बूढ़े की दशा की जानकारी सिस्टर शालिनी को होती है। उन्हें दया आ जाती है। सिस्टर शालिनी उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा देती हैं। उसका इलाज होता है और वह चंगा हो जाता है।
यही हकीकत है वर्तमान समाज की, जिसे कलाकारों ने नाटक के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया। विश्व नर्स दिवस पर हड्डी गोदाम करेली में मंजिल उदयन बाल युवा जनहित सेवा संस्थान द्वारा 'सेवाभाव नर्स में' नाटक का मंचन हुआ। पूजा श्रीवास्तव द्वारा लिखित इस कहानी पर आधारित नाटक का निर्देशन अजीत राज ने किया। नाटक में बुजुर्गो की परेशानियों को दर्शाया गया। दिखाया गया कि किस तरह से आज की संतानें अपने बूढे़ मां-बाप को बेसहारा मरने के लिए छोड़ देती हैं। बूढ़े मां-बाप को लोग सिर का बोझ समझने लगते हैं। नाटक के माध्यम से संदेश दिया गया कि जो लोग अपने माता-पिता के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं वे भी एक दिन बूढ़े होंगे। इसलिए उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
कलाकारों में नागेश पटवा ने सूत्रधार, अनिल पटवा ने जंगीलाल, कंचन श्रीवास्तव ने नर्स, उत्कर्षित कुशवाहा, शुभम केसरवानी ने ग्रामीण की भूमिका निभाई। इस अवसर पर रंगाचार्य कृष्ण गोपाल भी मौजूद रहे। ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए क्लिक करें m.jagran.com परया
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(Hindi news from Dainik Jagran, newsstate Desk)
इलाहाबाद : रामपुर का बुजुर्ग जंगी लाल प्रयाग की सड़कों पर कई दिन से मारा-मारा फिर रहा था। जिन आंखों के तारों को उसने अपना पेट काट काटकर पाला, उन्हीं बेटों ने उसे घर से बाहर धकेल दिया। वह बीमार है, हालत बेहद नाजुक है। बूढ़े की दशा की जानकारी सिस्टर शालिनी को होती है। उन्हें दया आ जाती है। सिस्टर शालिनी उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा देती हैं। उसका इलाज होता है और वह चंगा हो जाता है।
यही हकीकत है वर्तमान समाज की, जिसे कलाकारों ने नाटक के माध्यम से बखूबी प्रस्तुत किया। विश्व नर्स दिवस पर हड्डी गोदाम करेली में मंजिल उदयन बाल युवा जनहित सेवा संस्थान द्वारा ‘सेवाभाव नर्स में’ नाटक का मंचन हुआ। पूजा श्रीवास्तव द्वारा लिखित इस कहानी पर आधारित नाटक का निर्देशन अजीत राज ने किया। नाटक में बुजुर्गो की परेशानियों को दर्शाया गया। दिखाया गया कि किस तरह से आज की संतानें अपने बूढे़ मां-बाप को बेसहारा मरने के लिए छोड़ देती हैं। बूढ़े मां-बाप को लोग सिर का बोझ समझने लगते हैं। नाटक के माध्यम से संदेश दिया गया कि जो लोग अपने माता-पिता के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं वे भी एक दिन बूढ़े होंगे। इसलिए उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
कलाकारों में नागेश पटवा ने सूत्रधार, अनिल पटवा ने जंगीलाल, कंचन श्रीवास्तव ने नर्स, उत्कर्षित कुशवाहा, शुभम केसरवानी ने ग्रामीण की भूमिका निभाई। इस अवसर पर रंगाचार्य कृष्ण गोपाल भी मौजूद रहे।
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