Sunday 18 May 2014

दरक गई रालोद की बुनियाद


दरक गई रालोद की बुनियाद
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। सोलहवीं लोकसभा में राष्ट्रीय लोकदल का कोई नुमाइंदा नहीं होगा। रालोद को हमेशा तथा गठबंधन अदल-बदल करने की कीमत चुकानी पड़ी। रालोद के मुखिया अजित सिंह तो अपनी पुश्तैनी बागपत संसदीय सीट को नहीं बचा सके। भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल करना घाटे का सौदा साबित हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठजोड़ में पांच सांसद जिताने वाले रालोद को इस बार कांग्रेस से चुनावी मेल नुकसानदेह साबित हुआ। अजित का तीसरे स्थान पर लुढ़कना और दो लाख वोट से पिछड़ना रालोद के लिए खतरे की घंटी है। साथ ही उनके पुत्र जयंत चौधरी का मथुरा सीट पर हारना रालोद के लिए दोहरी मार है।
सांप्रदायिक दंगों के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश में बदले हालात ने रालोद की मुश्किलें बढ़ा दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के जमाने से चला आ रहा रालोद का जातीय समीकरण मुस्लिम, जाट, गुर्जर व राजपूत बिखर गया। जाट वोटरों पर मोदी-रंग चढ़ने से बचाने के लिए केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण कार्ड चलने का दांव काम नहीं आया। भाकियू को साथ लेकर चुनाव लड़ने का प्रयोग सफल न हो सका। अमरोहा से रालोद कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी राकेश टिकैत को दस हजार वोट पाने में भी एड़ी चोटी के जोर लगाने पड़े। हाथरस और कैराना में भी रालोद को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी।
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काम न आया जयाप्रदा का ग्लैमर
फिल्म अभिनेत्री व सांसद जयाप्रदा व अमर सिंह भी रालोद के मददगार नहीं बन सकें। फिल्मी सितारों को चुनावी प्रचार में उतारने के बावजूद रालोद के उम्मीदवार सभी सीटों पर बुरी तरह से हारे। फतेहपुर सीकरी में अमर सिंह को चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा तो बिजनौर में रामपुर से सांसद रहीं जयाप्रदा 25 हजार वोटों में सिमट गई।ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए क्लिक करें m.jagran.com परया
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Tags:RLD, Ajit Singh, Jayant Chaudhary, BJP, Congress, Meerut, Lucknow.


Web Title:RLD Lost His Statues

(Hindi news from Dainik Jagran, newsstate Desk)

दरक गई रालोद की बुनियाद
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। सोलहवीं लोकसभा में राष्ट्रीय लोकदल का कोई नुमाइंदा नहीं होगा। रालोद को हमेशा तथा गठबंधन अदल-बदल करने की कीमत चुकानी पड़ी। रालोद के मुखिया अजित सिंह तो अपनी पुश्तैनी बागपत संसदीय सीट को नहीं बचा सके। भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल करना घाटे का सौदा साबित हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठजोड़ में पांच सांसद जिताने वाले रालोद को इस बार कांग्रेस से चुनावी मेल नुकसानदेह साबित हुआ। अजित का तीसरे स्थान पर लुढ़कना और दो लाख वोट से पिछड़ना रालोद के लिए खतरे की घंटी है। साथ ही उनके पुत्र जयंत चौधरी का मथुरा सीट पर हारना रालोद के लिए दोहरी मार है।
सांप्रदायिक दंगों के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश में बदले हालात ने रालोद की मुश्किलें बढ़ा दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के जमाने से चला आ रहा रालोद का जातीय समीकरण मुस्लिम, जाट, गुर्जर व राजपूत बिखर गया। जाट वोटरों पर मोदी-रंग चढ़ने से बचाने के लिए केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण कार्ड चलने का दांव काम नहीं आया। भाकियू को साथ लेकर चुनाव लड़ने का प्रयोग सफल न हो सका। अमरोहा से रालोद कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी राकेश टिकैत को दस हजार वोट पाने में भी एड़ी चोटी के जोर लगाने पड़े। हाथरस और कैराना में भी रालोद को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी।
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काम न आया जयाप्रदा का ग्लैमर
फिल्म अभिनेत्री व सांसद जयाप्रदा व अमर सिंह भी रालोद के मददगार नहीं बन सकें। फिल्मी सितारों को चुनावी प्रचार में उतारने के बावजूद रालोद के उम्मीदवार सभी सीटों पर बुरी तरह से हारे। फतेहपुर सीकरी में अमर सिंह को चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा तो बिजनौर में रामपुर से सांसद रहीं जयाप्रदा 25 हजार वोटों में सिमट गई।
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