आसाराम प्रकरण में पीड़िता के क्रॉस बयान
लखनऊ। आसाराम दुष्कर्म मामले में क्रॉस एग्जामिन के लिए तीन बार जोधपुर से बैरंग शाहजहांपुर लौट चुका पीड़ित परिवार एक बार फिर जोधपुर के लिए रवाना हो गया है। अदालत में 13 मई को क्रॉस बयान की तिथि नियत की है लेकिन आसाराम क्रॉस बयान रोकने के हर संभव प्रयास में हैं। इससे पूर्व आसाराम के वकीलों ने क्रॉस बयान टालने के लिए वकालतनामा वापस लेने तक का एलान कर दिया था। इस पर पीड़िता के वकील ने आसाराम को सरकारी गवाह मुहैया कराने का दांव चला था। बहरहाल 13 मई को कोर्ट में क्रॉस बयान के लिए पीड़ित परिवार जोधपुर के लिए रवाना हो चुका है।
पीड़िता की बेबाक गवाही
नौ माह के लंबे संघर्ष में आसाराम प्रकरण की शाहजहांपुर निवासी पीड़िता के मां-बाप कई बार विचलित हुए। आसाराम के षड्यंत्र, गुर्गो की धमकी, रिश्तेदारों के दबाव और आर्थिक संकट ने कई बार टूटने के कगार पर ला दिया। लेकिन बेटी के साहस, सच की ताकत ने न्याय की जंग को कमजोर करने के बजाय और मजबूत बनाया। 15-16 अप्रैल को मां-बाप की गैरमौजूदगी में मुख्य बयान में जब पीड़िता ने आसाराम के गुनाह का चिट्ठा खोला तो आसाराम के वकील माथा पीटने को मजबूर हो गए। पीड़ित मां-बाप बेटी के हौसले पर बलिहारी हो गए। घबराकर आसाराम ने क्रॉस बयान में अडं़गा डालना शुरू कर दिया।
बेटी का पूरा साल बर्बाद
'जागरण' से बातचीत में पीड़िता की मां जोधपुर की दास्तां सुनाकर भावुक हो गई। डबडबाई आंखों से उन्होंने अपनी बेटी की हिम्मत को सराहा। बोलीं आसाराम के साम्राज्य से लड़कर बेटी को न्याय दिलाने की राह बेहद कठिन है। बेटी का पूरा साल बर्बाद हो गया। पढ़ाई प्रभावित है। जोधपुर में तो एक-एक दिन सालों की तरह लग रहा था। मार्च से बेटी के बयान के लिए कई तारीखें पड़ीं। अप्रैल में जब कोर्ट ने बयान के समय अदालत से बाहर रहने का फैसला दिया तो बहुत खराब लगा। आंखें भर आई, लेकिन बेटी ने हिम्मत बढ़ाने के साथ ही अकेले ही बयान देने का संकल्प लिया। पीड़िता की मां बोलीं, दो दिन के बयान में जब बेटी ने बेबाकी से आसाराम के गुनाहों का सच सामने रखा तो खुद वह दंग रह गई। मर्यादा में बस जो बातें बेटी साझा कर सकी, उनकी अनुपस्थिति में अदालत को उसने सच बताकर आसाराम के वकीलों को भी माथा पीटने को मजबूर कर दिया। बेटी के भावुक बयान पर तमाम लोगों की आंखे भर आई। पीड़िता की मां का कहना है कि उनकी बेटी ने हिम्मत बंधाकर उन्हें टूटने से बचाया। अब बेटी की एक पल की खुशी के लिए वह कुछ भी कुर्बान करने को तैयार हैं।
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Tags:Shahjahanpur, Crime, Cross Examin, Asaram rape case, Sexual assualt
Web Title:Cross Examin in asaram rape case
(Hindi news from Dainik Jagran, newsstate Desk)
आसाराम प्रकरण में पीड़िता के क्रॉस बयान
लखनऊ। आसाराम दुष्कर्म मामले में क्रॉस एग्जामिन के लिए तीन बार जोधपुर से बैरंग शाहजहांपुर लौट चुका पीड़ित परिवार एक बार फिर जोधपुर के लिए रवाना हो गया है। अदालत में 13 मई को क्रॉस बयान की तिथि नियत की है लेकिन आसाराम क्रॉस बयान रोकने के हर संभव प्रयास में हैं। इससे पूर्व आसाराम के वकीलों ने क्रॉस बयान टालने के लिए वकालतनामा वापस लेने तक का एलान कर दिया था। इस पर पीड़िता के वकील ने आसाराम को सरकारी गवाह मुहैया कराने का दांव चला था। बहरहाल 13 मई को कोर्ट में क्रॉस बयान के लिए पीड़ित परिवार जोधपुर के लिए रवाना हो चुका है।
पीड़िता की बेबाक गवाही
नौ माह के लंबे संघर्ष में आसाराम प्रकरण की शाहजहांपुर निवासी पीड़िता के मां-बाप कई बार विचलित हुए। आसाराम के षड्यंत्र, गुर्गो की धमकी, रिश्तेदारों के दबाव और आर्थिक संकट ने कई बार टूटने के कगार पर ला दिया। लेकिन बेटी के साहस, सच की ताकत ने न्याय की जंग को कमजोर करने के बजाय और मजबूत बनाया। 15-16 अप्रैल को मां-बाप की गैरमौजूदगी में मुख्य बयान में जब पीड़िता ने आसाराम के गुनाह का चिट्ठा खोला तो आसाराम के वकील माथा पीटने को मजबूर हो गए। पीड़ित मां-बाप बेटी के हौसले पर बलिहारी हो गए। घबराकर आसाराम ने क्रॉस बयान में अडं़गा डालना शुरू कर दिया।
बेटी का पूरा साल बर्बाद
‘जागरण’ से बातचीत में पीड़िता की मां जोधपुर की दास्तां सुनाकर भावुक हो गई। डबडबाई आंखों से उन्होंने अपनी बेटी की हिम्मत को सराहा। बोलीं आसाराम के साम्राज्य से लड़कर बेटी को न्याय दिलाने की राह बेहद कठिन है। बेटी का पूरा साल बर्बाद हो गया। पढ़ाई प्रभावित है। जोधपुर में तो एक-एक दिन सालों की तरह लग रहा था। मार्च से बेटी के बयान के लिए कई तारीखें पड़ीं। अप्रैल में जब कोर्ट ने बयान के समय अदालत से बाहर रहने का फैसला दिया तो बहुत खराब लगा। आंखें भर आई, लेकिन बेटी ने हिम्मत बढ़ाने के साथ ही अकेले ही बयान देने का संकल्प लिया। पीड़िता की मां बोलीं, दो दिन के बयान में जब बेटी ने बेबाकी से आसाराम के गुनाहों का सच सामने रखा तो खुद वह दंग रह गई। मर्यादा में बस जो बातें बेटी साझा कर सकी, उनकी अनुपस्थिति में अदालत को उसने सच बताकर आसाराम के वकीलों को भी माथा पीटने को मजबूर कर दिया। बेटी के भावुक बयान पर तमाम लोगों की आंखे भर आई। पीड़िता की मां का कहना है कि उनकी बेटी ने हिम्मत बंधाकर उन्हें टूटने से बचाया। अब बेटी की एक पल की खुशी के लिए वह कुछ भी कुर्बान करने को तैयार हैं।
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